समन्दर को चाहे खामोश रहने दो,
मगर मुझे कुछ कहना है कहने दो।
कोई नया रुख दो इन हवाओं को आज,
इन्हें आंधियों की तरह मत बहने दो।
मंजिल है दूर अभी चलना है बहुत,
मेरे पांव को कांटे की चुभन सहने दो।
मोहब्बत फैला दो यहाँ हर तरफ,
किसी आंख में आंसू मत बहने दो।
चाहे कर दो हर राज़ को बेपर्दा यारों,
Wow very nice poem
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