जब कभी अंधेरे डराते मुझे.
ये है चांद और वो रहे सितारे,
हर बार प्यार से बतलाते मुझे.
मां की गोद में सुकून मिलता है,
जब कोमल हाथ सहलाते मुझे.
बापू की आंखें डराती हैं मगर,
हाथ के तकिए पर सुलाते मुझे.
उनकी दुआओं से सलामत हैं ये,
मेरे नन्हें कदम समझाते मुझे.
सरल शब्दों में कहता हूं बात,
ग़ज़ल के सलीके नहीं आते मुझे.
㇐㇣㇐
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बहुत ही खूबसूरत शेर हैं सभी ... लाजवाब ग़ज़ल ...
ReplyDelete...जी शुक्रिया!
Deleteसुंदर भावपूर्ण गज़ल.
ReplyDeleteTaazgee hai !
ReplyDelete☺
Deleteबहुत शानदर
ReplyDeleteआप सबका बहुत बहुत आभार!
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