Rajasthani Kavita- तूं डैरी आळी बाजरी… | A Rajasthani Ghazal by Rajendra Nehra


खदबद सिजै राबड़ौ,

हिवड़ा मं हूंकै गादड़ौ।


तूं निरखै रूंख पी’र का,

आं आंख्यां मं आकड़ौ।


आज्या बैरण आयगौ,

पो’ को म्हीनौ सांकड़ौ।


थारी बडायां हूं भर्‌यौ,

म्हारा मन को छाबड़ौ।


तूं डैरी आळी बाजरी,

मं अड़ावा को भांखड़ौ।


अणमोल थारी मुळक,

सियाळा को तावड़ौ।


थारै बिना म्हारी जूंण,

बिन फाडी को फावड़ौ।


राड़ क आडी बाड़ करां,

झाळ को तोड़ां टांगड़ौ।


आपणी बातां सुण’र,

भरम भाजैलौ आगड़ौ।


© Rajendra Nehra



*Image Source- Internet

Comments

  1. बिन फाडी को फावड़ौ।👌👌👌

    ReplyDelete

Post a Comment