रूकती-चलती फटफटी जिंदगी।
हिलती-डुलती हिचकोले खाती,
मचलती जाती, उछलती जाती।
दिनभर दौड़ती-भागती जिंदगी,
रातभर आंखों में जागती जिंदगी।
सुख, संताप, सुकून, बेकरारी,
कभी ख़बर है, कभी ख़ुमारी।
आकाश और चांद-तारों को तकती,
बच्चों जैसी मासूम, हठी जिंदगी।
भंवर-भंवर है भूल-भुलैया,
पतवार आप ही, आप खिवैया।
ठौर-ठिकाने आती-जाती जिंदगी,
समझती और समझाती जिंदगी।
मंजिले-मौत की डगर सुहानी,
कदम-कदम है नई कहानी।
हुआ हो कुछ भी, अपनी तो राजू!
ना डटी ना ही पीछे हटी जिंदगी।
㇐㇣㇐
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*Image Source: Pixabay
bahut khoob
ReplyDeletetahedil se shukriya!
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