㇐㇣㇐
कभी मां को देखा?
उन आंखों में जो बहता है,
उन आंखों में जो बहता है,
वो स्नेह-रस की सरिता है.
गुस्से में भी दुलार बंद है,
डांट फटकार में छंद है.
सलवटों का यही सार है,
ये करुणा का अलंकार है.
हर काम की लय बंधी है,
हाथों में अच्छी तुकबंदी है.
मैंने देखा है...
मां की जो ये ममता है,
सचमुच कोई कविता है.
㇐㇣㇐
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*Image Source: Pexels

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