कोयल के बिना ये काला कानन,
और बिन कंठों के कोकिला।
और बिन कंठों के कोकिला।
सन्ध्या के बिना दिन की सुंदरता,
और बिन गोधूलि शाम सुहानी।
ख़ुदा के बिना ये कायनात,
और बिन आदम के ईश्वर।
मयखाने के बिना ये बस्ती,
मयखाने के बिना ये बस्ती,
और बिन शायर के मय-कदा।
गुलाब के बिना ये बाग पियारा,
गुलाब के बिना ये बाग पियारा,
और बिन जानम के गुले-गुलाब।
कुछ ऐसे ही है...
प्रेम के बिना ये क्षणिक जीवन,
कुछ ऐसे ही है...
प्रेम के बिना ये क्षणिक जीवन,
और बिना शिद्दत के इश्क़।
㇐㇣㇐
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*Image Source: Pixabay
A crux of life without love in simplified theology. Awesome
ReplyDeleteAnd I am happy that you understood the spirit of this poem. Thank you.
DeleteWaa what spirit in poem feel great ful
ReplyDeleteशुक्रिया दोस्त!
DeleteWaa what spirit in poem feel great ful
ReplyDeleteAll child molesters are pedophiles. The only treatment that works for sex offenders is execution. ESCORTS IN ISLAMABAD
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