फिर भी मगर नक़ाब में आया।
घर ही की बात थी मगर यारों,
कर्ज़ बहुत हिसाब में आया।
संभलकर रहना हसीनों जरा,
गुलाब अपने शबाब में आया।
खूबसूरत सा सवाल था मेरा,
गुस्सा मगर जवाब में आया।
आरजू तेरी भी पूरी हुई 'राजू',
नाम तेरा भी इंकलाब में आया।
(Author, my tukbandi)
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