Rajasthani Kavita: म्हारी कविता भोळी कमेड़ी है… | A Rajasthani Ghazal by Rajendra Nehra




आपणा खेत मांय जकी खेड़ी है,

म्हारा हिवड़ा मांय थारी प्रीत जै'ड़ी है।


जांटी का डाळ्या पर बैठी बोलै,

म्हारी कविता बाही भोळी कमेड़ी है।


जियां सीप कनै मोतीड़ौ हुवै बावळी!

तूं बियां ही म्हारा काळजा नैड़ी है।


चोखा तो कांम कर, भलौ मिनख बण,

रांमजी तांई जाबाळी आही एक पैड़ी है।


ल्यौ नेहरा जी आवौ! ब्याळू करल्यां,

बाजरा का रोट, काचरां की सुखेड़ी है।


© Rajendra Nehra


(इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

Comments

  1. बौत शानदार लिख्यो नेहरा जी

    ReplyDelete
  2. एक बार जो पढ़ना शुरू कर दे, तो अंतिम पंक्ति पढ़े बिना छोड़ेगा नहीं, बहुत ख़ूब, 💐

    ReplyDelete

Post a Comment