फिर भी आज समाज पर अफ़सरों की गाज है.
उधर सियासत के नाम पर लड़ रहे हैं नेता,
इधर बोरियों में सड़ रहा ग़रीब का अनाज़ है.
हो रहा है देश खोखला कुछ के भ्रष्टाचारों से,
राजनीति के खेल का ये कैसा रिवाज है.
मगर हैं कुछ हिमायती भी प्यारे वतन हिन्द के,
जिन पर हिन्दोस्तां को बहुत नाज़ है.
अब बदलाव ज़रुरी है, बदलने ये रिवाज है,
अरे यही तो बदलते दौर की गूंजती आवाज़ है.
अब तो कह दो वतन के दुश्मनों को ललकार कर,
अगर वो हैं नाग जहरीला तो हम भी भयंकर बाज हैं.
हो रहा है देश खोखला कुछ के भ्रष्टाचारों से,
राजनीति के खेल का ये कैसा रिवाज है.
मगर हैं कुछ हिमायती भी प्यारे वतन हिन्द के,
जिन पर हिन्दोस्तां को बहुत नाज़ है.
अब बदलाव ज़रुरी है, बदलने ये रिवाज है,
अरे यही तो बदलते दौर की गूंजती आवाज़ है.
अब तो कह दो वतन के दुश्मनों को ललकार कर,
अगर वो हैं नाग जहरीला तो हम भी भयंकर बाज हैं.
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प्रभावी !!!
ReplyDeleteशुभकामना
आर्यावर्त
साभार धन्यवाद!
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ReplyDeleteगर्व है भाई !!! जय हिंद.....
ReplyDeleteधन्यवाद भाई!
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