Hindi Poem: जेब में अपनी चाराने हैं | Jeb Me Apni Charane Hain | Rajendra Nehra


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कटि को चूमती चोटी है,
नीयत उसकी खोटी है.

प्यारी सी तेरी बिंदिया,
लूडो की लाल गोटी है.

जीने को तो उम्र बड़ी है,
जिंदगी भले ही छोटी है।

जेब में अपनी चाराने हैं,
सीने में रकम मोटी है।

कभी कभी लगता है चांद,
मां के हाथ की रोटी है।

क्या धीणा है चौधरी साब?
करारी सी एक झोटी है!

आओ अपनी कोठी पर,
छाछ-राबड़ी और बोटी है।

तुकबंदी की खातिर सनम,
तेरी अदा को कहा नॉटी है।

© Rajendra Nehra

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