㇐㇣㇐
मन हमारा पतंग समान!
इसे ढील दो,
दूर और बहुत दूर जाने दो,
कल्पना के आकाश में गोते खाने दो.
बस ये ध्यान रखो...
'डोर कहीं से टूट ना जाय,
चरखी हाथ से छूट ना जाय.'
㇐㇣㇐
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