हुआ सवेरा, चली पुरवाई.
गीत, कविता, ग़ज़ल, रुबाई,
सबमें उसकी महक समाई.
मुझको मिली मेरी मोहब्बत,
दुनिया की हर दौलत पाई.
सोया हुआ था बहुत दिनों से,
दिल जागा और ली अंगड़ाई.
पतझड़ के मौसम में राजू!
मन का उजाड़, बना अमराई.
㇐㇣㇐
आप भी अपनी हिंदी रचना को My Tukbandi पर प्रकाशन के लिए भेज सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पर जाएं:
Submit your Hindi Stuff to ‘my tukbandi’
Submit your Hindi Stuff to ‘my tukbandi’
Beautiful!
ReplyDeleteLovelorn Poetry
thanks!
Delete