ना दिल पर बोझ लेते हैं.
माथे का पसीना, आंख का पानी,
हंसते-गाते पोंछ लेते हैं.
छोटी-छोटी बातों में भी दोस्त,
हम खुशियां खोज लेते हैं.
कुछ खट्टे-कड़वे लफ्ज़ों को,
दिल ही में दबोच लेते हैं.
देख दुनिया के चाल-चलन,
अच्छा-बुरा सब सोच लेते हैं.
जीवन की इस मदिरा का,
छलकता जाम रोज लेते हैं.
㇐㇣㇐
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