㇐㇣㇐
जून महीना, तारीख पांच,
पचास आदमी, पौधे पांच।
भरी दोपहर में चकाचौंध,
पचास कैमरे, फावड़े पांच।
जहां गाड़े थे पिछले साल,
वहीं दफनाए गए ये पांच।
कहर ये कैसा कुदरत पर,
जहर हजार, तत्व पांच।
अल सुबह अखबार आया,
झूठ-सांच और पन्ने पांच।
㇐㇣㇐
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शानदार सर।🌲🌲🌲🌳🌳🌳🌴🌴🌴
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