Hindi Poem- हमारे ठहाकों से आसमान दहल गया । Hamare Thahakon Se Aasman Dahal Gaya | Poet Nehra


 

सूरज आया तो अंधेरा पहले-पहल गया,

फिर चांद भी अपने मामा के महल गया।


सुबह से मौसम कुछ उदास लग रहा था,

मेरी बिटिया की बातों से फिर बहल गया।


ठिठुरता हुआ एक रामजी का घोड़ा आया,

ओस भरी घास पे धूप में थोड़ा टहल गया।


बिजलियाँ गिराया करता है जो ज़मीनों पर,

हमारे ठहाकों से वो आसमान दहल गया।


मक़्ता में जब तुकबंदी होती नज़र नहीं आई,

तो कवि के दिमाग़ का कदम चहल गया।


©️RajendraNehra

Comments

  1. वाह... बहुत ख़ूब। लंबे समय बाद आपकी सक्रियता देखकर आनंद आया। बहुत बढ़िया सर

    "बिजलियाँ गिराया करता है जो ज़मीनों पर,
    हमारे ठहाकों से वो आसमान दहल गया।"👌👌👌🎇🎆🎇

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