Hindi Poem- क से कबूतर होता है । Poet Rajendra Nehra

 


 से कबूतर होता है,

उल्लू दिन में सोता है


लाल चोंच में हरी मिर्च,

वो तो हरिया तोता है।


दादाजी हैं मूँछ वाले,

नटखट उनका पोता है।


सूरज दिनभर पीठ पर,

धूप का बोझा ढोता है।


बादल भरकर आँखों में,

आसमान भी रोता है।


खाने हैं जब मीठे आम,

बबूल काहे को बोता है।


पाना है तो जागो भाई,

सोने वाला खोता है।


आदमी बड़ा कमाल है,

पानी से पाप धोता है।


© Rajendra Nehra

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